लौंडई

दुनिया कितनी भी Upgrade हो जाए, लेकिन लौंडई कभी विलुप्त नहीं होगी । आज भी अजय देवगन की "दिलवाले" वाली Hair Style में कहीं न कहीं , कोई न कोई , सपना के सपनों में खोया होगा। आज भी कहीं फंस रही होगी पुरानी CD  की कैसेट साईकल की दो तीलियों के बीच। आज भी कहीं कोई आशिक़ बना रहा होगा अपनी कॉपी के पीछे तीर वाला दिल। आज भी कोई लौंडा चिलम खिंच रहा होगा, पुलिया पे बैठ के। कोई न कोई जी रहा होगा वो ज़िन्दगी... जो मुक्त है सभी Protocol से, जहाँ वास्तविकता है... बिना किसी थोथेबाजी के। जहाँ Interstellar झेलने वाला चुतियापा नहीं होता। जहाँ खुल के नाच होता है "कट्टो गिलहरी छमक छल्लों रानी" वाले गाने पे। जहाँ संतुष्टि किसी दिखावे की मोहताज नहीं। क्योंकि अपने व्यक्तित्व को परिवर्तित न करना हीं अखंड सत्य है, यथार्थ है।
ये मात्र एक गांव की छवि नहीं है, बल्कि उस शहर की भी है, जहाँ हम जैसे लौंडे रहते हैं। जो Mall के पांचवी मंजिल वाले पब में Pitbull  के गाने Enjoy  करने के बाद घर में आ कर फुल बेस में 90s का गाना सुनकर हीं चैन पाते हैं, जिन्हें Scarlett Johansson सिर्फ Pictures  में अच्छी लगती है, असल ज़िन्दगी में आज भी उन्हें तलाश है किसी दिव्य भारती की । जो किसी MNC में बैठ  Excel Sheet पर बकैती करते हुए गोता लगाने चले जाते हैं, गांव के बाहर वाले तालाब में, जिनके जेहन में आज भी जिंदा है उनका अतीत।
हाँ मैं भी उनमें से एक हूं, जो देश की आर्थिक राजधानी में हूं, लेकिन अपना छोटा सा गांव अपनी आँखों और अंदाज़ में ले के चलता हूं। Society के Guard से बात करने में मेरी Reputation पर कोई आंच नहीं आती, सड़क किनारे लगे गन्ने का जूस पीने या कुछ खाने में मेरी Modernity आड़े नही आती। मैं ऐसा हीं हूं, ऐसा हीं रहूंगा, दुनिया Upgrade होगी, मैं भी होऊंगा, समय बदलेगा, बुढ़ापा आएगा, लेकिन फिर भी दिल लौंडा हीं रहेगा।

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