Modern बंधुआ मजदूर
ये ऊँची इमारतों की चौथी, पांचवी मंजिल पर बक्से जैसी चारदीवारी में Confined, कांच की खिड़कियों से बाहर बारिश को एक Fixed दूरी से टकटकी लगा देखते, जो चेहरे हैं ना, ये दरअसल Surrender कर चुके उम्र कैद काट रहें कैदी हैं, जो बूंदों में आज़ादी टटोलते हैं। जो बाहर निकल, हाथ फैला, भींगते हुए कीचड़ में छलांग मार, Helicopter के माफ़िक़ तेजी से दौड़ लगाकर उड़ जाने को आतुर हैं। अपने गांव, क़स्बे के Aerodrome तक, पर जैसे ही कोशिश करने का सोचते हैं, अरे, यह क्या ? हाथ उठने वाला हीं था कि Formal Shirt की बटन पर लगी Cufflinks नें रास्ता रोक दिया और Wallet में रखा Credit Card अट्टाहास कर उठा इस दुस्साहस पर, जिससे में रुआँसा हो गया, कोशिशें थम गयीं... तभी गले में बंधी वो Sophisticated Tie Knot उलझती चली गयी। एक हीं टिस... उम्रकैद की बख्शीश भला चाहिए किसे ? सीधे आज़ाद कर दो न। तभी याद आता है , जल्दी चलो खाना खाने वरना फिर Time हीं नहीं मिलेगा। आँसू पलकों पर ही रुक गए, क्यूंकि उन्हें भी पता है कि , जीने वाली सदी बिसर चुकी , अब तो सब पेट - पैकेज और प्रोमोशन का सवाल है।
इन्हें देखिएगा कभी ध्यान से, तो इन मे आपको, मशीन की तरह, काम में लगे, Formally Dressed, Weekend के नशे में गुम, फर्जी हँसी हँसने वाले, शीशे की खिड़कियों से झांकते, बेरंग, मायुष चेहरे लिए Modern बंधुआ दिख जाएंगे।
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