क्या लिखूं ?
कुछ गहरा सा लिखना था, तो इश्क़ से गहरा क्या लिखूं,
कुछ ठहरा सा लिखना था, तो दर्द से
ज्यादा क्या लिखूं,
कुछ समंदर से लिखना था, तो तेरी आँखों से
ज्यादा क्या लिखूं,
अब जो ज़िन्दगी लिखना है, तो फिर तुम से ज्यादा क्या लिखूं।
कुछ पलकों पे लिखना था, तो तेरे ख्वाबों
से प्यारा क्या लिखूं,
कुछ सवेरा सा लिखना था, तो तेरे मुस्कान
से उजला क्या लिखूं,
कुछ बेमिसाल लिखना था, तो तेरे साथ
बिताए लम्हों से अनमोल क्या लिखूं,
अब जो ज़िन्दगी की राहें लिखनी हैं, तो तेरे कदमों से सच्चा क्या लिखूं।
कुछ फ़ासलों की बातें करनी थीं, तो तेरी यादों से लम्बा क्या लिखूं,
कुछ अधूरे ख्वाहिशों की चाह थी, तो तेरे बिना अधूरा क्या लिखूं,
अब जब मुक्कमल लिखना है, तो तेरे साथ से मुक्कमल क्या लिखूं।
कुछ खामोशी में लिखना था, तो तेरी आवाज़ से गहरा क्या लिखूं,
कुछ धड़कन का अहसास लिखना था, तो तेरा नाम दिल से करीब क्या लिखूं,
कुछ सपनों की उड़ान लिखनी थी, तो तेरी हसरतों से ऊँचा क्या लिखूं,
अब जब पूरी दुनिया लिखनी है, तो तेरे बिना जहाँ क्या लिखूं।
कुछ रास्तों का सफर लिखना था, तो तेरे साथ से खुशनुमा क्या लिखूं,
कुछ बिछड़ने की पीड़ा लिखनी थी, तो तेरे बिना दर्द से ज्यादा क्या लिखूं,
अब जब मुकद्दर लिखना है, तो तुझसे बेहतर नसीब क्या लिखूं।
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