अधूरी कहानी


मुंबई की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी मेंजहां हर दिन एक नई चुनौती और हर रात नए सपनों के साथ बीतती थीअरव मेहता की ज़िंदगी एक बेहद साधारण और एकाकी रूटीन में सिमटी हुई थी। वह शहर के भीड़-भाड़ वाले फाइनेंसियल डिस्ट्रिक्ट के एक प्राइवेट बैंक में जूनियर ऑफिसर था। ऑफिस की चमचमाती बिल्डिंग के भीतरजहां हर कोई अपने सपनों को पूरा करने की होड़ में दौड़ता रहता थाअरव अपने काम में डूबा एक शांत और सादा व्यक्तित्व था।

हर सुबह अरव की शुरुआत अलार्म की आवाज़ के साथ होती थी। सूरज उगने से पहले ही वह उठकर अपने छोटे से किराए के कमरे में बैठा पढ़ाई करता था। उसका सपना था कि वह करियर में कुछ बड़ा करेमगर उसकी ज़िंदगी की दिशा अभी तक बस छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़ रही थी। पढ़ाई के बादवह जल्द ही तैयार होकर सड़क किनारे एक छोटे से ठेले पर नाश्ता करता। अक्सर वह एक गरमा-गरम वड़ा पाव और चाय के साथ दिन की शुरुआत करता। चाय की भाप और सड़क पर चलने वाली गाड़ियों की आवाज़ें उसकी सुबह का हिस्सा थीं।

इसके बादवह लोकल ट्रेन के स्टेशन की ओर बढ़ता। मुंबई की लोकल ट्रेनें उसकी ज़िंदगी का एक अहम हिस्सा थीं। वह अक्सर अपनी ट्रेन में खिड़की के पास जगह पाने की कोशिश करताताकि कुछ पल शहर के बदलते दृश्यों को देख सके। ट्रेन की भीड़ में भी वह अपनी किताब या अखबार पढ़ने की कोशिश करता।

ऑफिस मेंवह एक परिश्रमी और अनुशासित कर्मचारी के रूप में जाना जाता था। उसकी छवि एक भरोसेमंद सहयोगी की थीजिस पर हर कोई निर्भर कर सकता था। लेकिन इस पेशेवर छवि के पीछे छिपा था एक ऐसा व्यक्तिजो अपनी भावनाओं को अक्सर छुपा लेता था। सहकर्मियों के साथ उसका रिश्ता औपचारिक था। चाय ब्रेक के दौरान जहां लोग हंसी-मजाक में मशगूल रहतेवहां अरव अपनी फाइलों में व्यस्त रहता।

ऑफिस की खिड़की से जब वह बाहर देखतातो उसकी नज़रें आसमान में उड़ते जहाजों को ढूंढतीं। उसके भीतर हमेशा एक अजीब सा खिंचाव था—मुंबई की सीमाओं से बाहर निकलने और एक नई दुनिया को देखने का। वह सोचता कि क्या उसकी जिंदगी का यही पैटर्न हमेशा के लिए रहेगाया कभी कुछ ऐसा होगाजो इसे बदल देगा।

अरव के भीतर एक खामोश संघर्ष चल रहा था। वह अपनी ज़िंदगी की स्थिरता और सुरक्षा से संतुष्ट दिखता थालेकिन उसके दिल के किसी कोने में एक बेचैनी थी। उसे ऐसा लगता था कि वह इस तेज़ रफ्तार शहर में कहीं पीछे छूट गया है। उसका मन करता कि वह भी किसी तरह से अपनी इस नीरस दिनचर्या से बाहर निकले और कुछ नयाकुछ रोमांचक करे।

लेकिन अरव स्वभाव से अंतर्मुखी था। वह अपनी भावनाओं को ज़ाहिर करने में सहज नहीं था। उसकी यह झिझक उसे और भी अकेला बना देती थी। दोस्त कम थेऔर जो थेवे भी उसके व्यक्तित्व की गहराई तक नहीं पहुंच सके।

कभी-कभीदेर रातजब वह अपने कमरे की खिड़की के पास बैठकर शहर की रोशनी को देखतातो उसके मन में एक चाहत जागती—कि कोई उसकी इस शांत ज़िंदगी में रंग भर दे। वह चाहता था कि उसे कोई ऐसा साथी मिलेजो उसकी नीरसता को तोड़ दे और उसकी इस अनकही बेचैनी को समझे। लेकिन वह यह जानता था कि ऐसे मौके अपने आप नहीं आते।

उसे इस बात का एहसास भी था कि उसका अंतर्मुखी स्वभाव उसे अक्सर ऐसे अवसरों से दूर कर देता था। मगर उसकी उम्मीदें जिंदा थीं। शायद उसे किसी ऐसे पल का इंतजार थाजो अचानक उसकी जिंदगी को बदल दे।

अरव की यह साधारण सी जिंदगीजो बाहर से देखने पर एकरस और शांत लगती थीदरअसल उसके भीतर की गहराईयों में छुपी बेचैनियों और ख्वाबों का आईना थी। मुंबई जैसे शहर मेंजहां हर कोने पर नई कहानियां जन्म लेती हैंअरव की कहानी भी किसी मोड़ पर नया मोड़ लेने वाली थी—एक ऐसा मोड़जो उसकी इस एकरस जिंदगी को नई दिशा और नए रंग देने वाला था।

मुंबई की तेज़ रफ्तार जिंदगी में उस सुबह की धूप कुछ अलग ही रंग लाई थी। ऐसा लग रहा था जैसे हर कोना किसी नई कहानी का इंतजार कर रहा हो। ऑफिस के भीतर माहौल गंभीर था। सितंबर का आखिरी हफ्ता—टारगेट्स की दौड़ में सभी व्यस्त थे। अरवहमेशा की तरहअपनी सीट पर बैठा ग्राहकों की फाइलों को निपटाने में लगा हुआ था। उसकी आंखों में हल्की बेचैनी थी क्योंकि सुबह की हडल में आने वाले निर्देशों की गूंज उसे पहले से ही सुनाई दे रही थी।

सिर्फ 8:45 बजे थे। ब्रांच के दरवाजे अभी खुले ही थेकि तभी एक ठंडी हवा का झोंका आया। काले रंग के खूबसूरत सूट के साथ हल्के लाल चूड़ीदार और कोल्हापुरी सैंडल पहनेमीरा मुख्य गेट से अंदर दाखिल हुई। उसकी चाल में आत्मविश्वास और चेहरे पर ऐसी मुस्कान थीजैसे वह इस जगह की रौनक बढ़ाने के लिए ही आई हो।

अरव ने सिर झुकाए अपने पेपरवर्क से ध्यान हटाकर जब पहली बार मीरा को देखातो एक पल के लिए वह ठहर सा गया। मीरा की तेज़ आंखें और चेहरे की चमक जैसे उसकी सादगी भरी दुनिया में कुछ नया लेकर आई थीं। वह समझ नहीं पाया कि यह अचानक हुआ बदलाव क्या था। तभी मीरा ने अपनी मीठी आवाज़ में पूछा, “एक्सक्यूज़ मी।”

उस आवाज़ ने जैसे अरव की सोच को झकझोर दिया। वह थोड़ी हड़बड़ाहट में खड़ा हुआ।

“हायमैं मीरा हूं। बैंक के ट्रेनिंग बैच 64 से हूं और मुझे आज यहां जॉइन करना है। क्या आप मेरी रिपोर्टिंग अथॉरिटी तक पहुंचा सकते हैं?” मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा।

अरवजो अक्सर शब्दों के मामले में बेहद सटीक रहता थाउस पल जैसे खो सा गया। उसकी जुबान लड़खड़ा गई।

“जी… हाँ… उधर,” उसने किसी तरह ब्रांच मैनेजर के केबिन की ओर इशारा किया।

मीरा ने हल्के से सिर हिलाया और “थैंक यू सो मच” कहते हुए आगे बढ़ गई। उसके कोल्हापुरी सैंडल की आवाज़ और उसकी चूड़ियों की खनक जैसे अरव के भीतर किसी नई धुन को जगा गई। वह अब भी वहीं खड़ा थाअपनी जगह परजैसे समय थम गया हो।

अरव ने खुद को संभालते हुए अपनी सीट पर जाकर बैठने की कोशिश कीलेकिन मीरा की वह आत्मविश्वास से भरी मुस्कान बार-बार उसके ज़ेहन में लौट आ रही थी। ऐसा पहली बार हुआ था कि किसी ने उसकी इस शांत दुनिया को छूने की कोशिश की हो।

हडल शुरू होने का ऐलान हुआ। अरव ने जल्दबाजी में अपनी फाइलें समेटीं और कॉन्फ्रेंस रूम की ओर बढ़ा। वहां हर कोई अपने-अपने टारगेट्स को लेकर गंभीर थालेकिन आज का माहौल थोड़ा अलग था। ब्रांच मैनेजर ने मीरा का परिचय कराते हुए कहा,

“हमारी नई रिलेशनशिप मैनेजर से मिलिएमीरा। ट्रेनिंग बैच 64 की स्टार परफॉर्मर हैं। हमें उम्मीद है कि इनकी एनर्जी और आइडियाज हमारी टीम को और बेहतर बनाएंगे।”

मीरा ने सहजता से सभी को नमस्ते कहा। उसकी बातों में ऐसी गर्मजोशी थीजिसने पूरे कमरे का माहौल हल्का कर दिया। अरवजो अक्सर हडल में चुपचाप बैठता थाइस बार अपने ही ख्यालों में उलझा हुआ था। उसकी नजरें बार-बार मीरा पर जा रहीं थीं। मीरा के बोलने का अंदाज़उसका आत्मविश्वास और उसका मुस्कुराना सब कुछ अरव के लिए जैसे जादू था।

हडल खत्म होते हीसभी कर्मचारी अपने-अपने डेस्क पर लौट आए। मीरा ने अपनी डेस्क को व्यवस्थित किया और तुरंत काम में जुट गई। उसका सहज रवैया और चुलबुला स्वभाव हर किसी का ध्यान खींच रहा था। अरव की नजरें हालांकि बार-बार उसके पास जाकर टिक जातींलेकिन वह खुद को उससे दूर रखने की कोशिश कर रहा था।

शाम तकऑफिस की हलचल अपने चरम पर थी। मीरा अपने पहले दिन की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही थीऔर अरव को यह देख कर न चाहते हुए भी खुशी हो रही थी। लेकिन भीतर ही भीतरवह किसी अनजाने खिंचाव से जूझ रहा था।

“क्या यह सिर्फ एक आकर्षण हैया कुछ और?” वह बार-बार खुद से यही सवाल कर रहा था। वह जानता था कि मीरा जैसी व्यक्तित्ववान और मिलनसार लड़की से बात करना उसके लिए आसान नहीं होगा। उसकी झिझक और अंतर्मुखी स्वभाव उसके कदम रोक रहे थे।

दिन के खत्म होने परजैसे ही सभी कर्मचारी अपनी-अपनी सीटों से उठकर घर की ओर बढ़ने लगेअरव ने महसूस किया कि उसके भीतर कुछ बदल रहा है। वह हमेशा की तरह जल्दी से अपना बैग उठाकर निकलना चाहता थालेकिन इस बार उसने अपने कदम धीमे कर लिए।

मीरा ने भी अपना बैग उठाया और दरवाजे की ओर बढ़ी। उसने जाते-जाते हर किसी को मुस्कुराते हुए “गुड नाइट” कहा। जब उसकी नजरें अरव से मिलींतो उसने हल्के से सिर हिलाया। अरव ने पहली बार अपनी झिझक पर काबू पाते हुए धीमे से जवाब दिया, “गुड नाइट।”

उस रातजब अरव अपनी लोकल ट्रेन में बैठातो उसके दिल में एक अजीब सी खुशी थी। मीरा की मुस्कानउसका आत्मविश्वासऔर उसकी सहजता जैसे अरव की जिंदगी में एक नई सुबह का संकेत दे रहे थे। उसने मन ही मन तय कर लिया कि अगली बार वह मीरा से बात करने की कोशिश करेगा। शायद यह शुरुआत थी—एक ऐसी कहानी कीजो उसकी सादगी भरी जिंदगी में कुछ नया रंग भरने वाली थी।

ट्रेन की भीड़ में खड़े हुए भीअरव का ध्यान कहीं और था। मीरा का आत्मविश्वासउसकी बातों का लहजाउसकी मुस्कुराहट—सब उसके मन में घूम रहे थे। वह सोचने लगा, “क्या मीरा भी कभी मुझसे बात करेगीक्या मेरी तरह उसे भी यह साधारण सी रोज़मर्रा की जिंदगी से कोई शिकायत होगी?”

शायद यह शुरुआत थी उस एहसास कीजो अरव ने पहले कभी महसूस नहीं किया था।

कुछ महीनों बादबैंक ने टीम-बिल्डिंग के लिए एक हिल स्टेशन पर ग्रुप ट्रिप का आयोजन किया। अरवजो आमतौर पर ऐसे आयोजनों से दूर रहता थाइस बार शामिल होने के लिए तैयार हो गया। उसके मन में कहीं एक उम्मीद थी कि शायद इस यात्रा के दौरान वह मीरा के साथ थोड़ा और समय बिता सकेगा।

यात्रा की शुरुआत अच्छी रही। सभी ने ताज़ी हवा और खूबसूरत नज़ारों का आनंद लिया। मीरा हमेशा की तरह खेलों और गतिविधियों की अगुवाई कर रही थी। उसकी चुलबुली हंसी और आत्मविश्वास ने अरव को मंत्रमुग्ध कर दिया। वह मीरा की मुस्कान में खो गया थाजब अचानक मौसम बदल गया।

दूसरे दिनमीरा बुखार से पीड़ित हो गई और उसे कमरे में रहना पड़ा। इस बात ने अरव को चिंतित कर दिया। वह उसके लिए अजीब सा महसूस कर रहा थाउसने सोच लिया था कि वह उसके पास जाएगा।

उस शामजब अरव मीरा के कमरे के पास पहुंचातो उसके दिल की धड़कन तेज हो गई। वह कई बार दरवाजे तक जाकर वापस लौट आया। पर आखिरकार उसने साहस जुटाया और दरवाजे पर दस्तक दी।

कौन?” अंदर से मीरा की धीमी आवाज आई।

मैं… अरव। तुम ठीक हो?” उसने हिचकिचाते हुए पूछा।

मीरा ने दरवाजा खोला। उसका चेहरा हल्का फीका थापर उसकी मुस्कान अब भी वैसी ही थी। “अरेअरव! आओ ना। बस थोड़ा अस्वस्थ महसूस कर रही हूं।”

अरव ने कमरे में कदम रखा। उसने नोट किया कि मीरा ने चाय का खाली कप रखा हुआ था और बगल में दवाइयां थीं।

तुम्हारी तबीयत देखकर अच्छा नहीं लग रहा,” अरव ने धीरे से कहा।

अरेकुछ नहीं। एक-दो दिन में ठीक हो जाऊंगी। वैसे भीइतनी ठंड में बीमार होना तो आम बात है,” मीरा ने हंसते हुए कहा।

अरव ने अपने बैग से एक थर्मस निकाला। “मैंने सोचातुम्हें सूप पसंद आएगा। घर का बना है।”

मीरा की आंखों में एक पल के लिए चमक आ गई। “तुमने मेरे लिए सूप बनाया?”

हांमतलब… घर से लाया था। तुम अगर ठीक से खाओगीतो जल्दी ठीक हो जाओगी,” अरव ने अपनी नजरें झुका लीं।

मीरा ने मुस्कराते हुए थर्मस लिया। “तुम सच में बहुत अच्छे होअरव। मैं तुम्हें पहले इतना नोटिस क्यों नहीं कर पाई?”

यह सुनकर अरव थोड़ी देर के लिए चुप हो गया। उसने महसूस किया कि मीरा की मुस्कान में अब एक नयी गर्मजोशी थी।

अगर तुम्हें किसी चीज़ की ज़रूरत होतो मुझे बताना,” उसने कहा और उठने की कोशिश की।

रुको,” मीरा ने उसे रोका। “तुम बैठो। तुम्हारे सूप का स्वाद चखते हैं।”

वह वहीं रुक गयाउसने पास रखी कुर्सी खींची और बैठ गया। उसकी नजरें बार-बार मीरा के चेहरे पर जा रही थीं। कुछ पल के लिए खामोशी छा गईलेकिन फिर मीरा ने उसे हल्के-फुल्के किस्से सुनाने शुरू कर दिए।

उनकी बातचीत छोटी थीलेकिन बेहद गहरी। मीरा ने अरव को अपने कॉलेज के दिनों के किस्से सुनाएअपने छोटे शहर की कहानियां और वह पल जब उसे पहली बार दिल टूटने का एहसास हुआ। उसने हल्के अंदाज़ में बताया कि कैसे उसने अपने सपनों के पीछे दौड़ते हुए कई बार खुद को अकेला महसूस किया।

अरवजो आमतौर पर लोगों की बातें सिर्फ सुनता थाइस बार खुद भी कुछ शेयर करने लगा। उसने अपनी जिंदगी की सादगी के बारे में बतायाअपनी झिझक और उस खालीपन का ज़िक्र कियाजिसे वह हमेशा महसूस करता था।

मीरा उसकी बातें सुनकर मुस्कुराई, “तुम शायद सोचते हो कि तुम बोरिंग होलेकिन सच मेंतुम्हारी सादगी में एक अलग ही आकर्षण है।” यह सुनकर अरव का दिल तेजी से धड़कने लगा।  दोनों ने पहली बार इतनी सहज बातचीत की।

मीरा की चुलबुली बातें और अरव की शांत प्रतिक्रिया के बीच एक अजीब सी कनेक्शन बनने लगा।

अगले दिनजब अरव ऑफिस ग्रुप से मीरा का नंबर ले रहा थातो उसके दिल में हल्की घबराहट थी। उसने पहले कभी किसी से इस तरह बात करने की पहल नहीं की थी। लेकिन मीरा की तबीयत और उसकी मुस्कान दोनों ही उसे बार-बार ऐसा करने के लिए प्रेरित कर रहे थे।

शाम को उसने बहुत हिम्मत जुटाकर मीरा को मैसेज किया।

अरव का पहला मैसेज:

अरव: “हाय मीरायह अरव है… ऑफिस ट्रिप से। उम्मीद हैतुम ठीक हो रही हो। मैंने सोचा तुम्हारी तबीयत के बारे में पूछ लूं।”

थोड़ी देर बादमीरा का जवाब आया:

मीरा: “अरेहाय अरव! कितनी प्यारी बात है कि तुमने याद रखा। हांअब थोड़ी बेहतर महसूस कर रही हूं। थैंक यू सो मच!”

अरव: “अच्छा है सुनकर। मुझे लगाट्रिप के बाद इतनी जल्दी बीमार होना अच्छा नहीं होगा। आराम कर रही हो न?”

मीरा: “हांपूरा दिन बस आराम ही कर रही हूं। वैसेसूप बहुत अच्छा था। सच में दिल से थैंक यू।”

अरव: “यह जानकर अच्छा लगा कि तुम्हें पसंद आया। वैसेअगर तुम्हें कुछ भी चाहिए होतो प्लीज बताना।”

मीरा: “इतनी केयर करने के लिए थैंक यू। लेकिन मैं ठीक हूं। तुम्हारी ये बातें ही मुझे और अच्छा महसूस करवा रही हैं।”

अरव को मीरा का जवाब पढ़कर खुशी हुई। उसने महसूस किया कि मीरा के साथ बात करना कितना आसान और सुखद था।

अरव ने हर दिन मीरा को एक मैसेज भेजकर उसकी तबीयत के बारे में पूछा।

अरव: “आज तबीयत कैसी हैकुछ खास खाया?”

मीरा: “आज खिचड़ी खाई। सिंपल फूड सबसे अच्छा लगता है। वैसेतुमने क्या खाया?”

अरव: “मैंने भी कुछ सिंपल ही खाया। वैसे तुम्हें चाय पसंद है या कॉफी?”

मीरा: ” चाय! और तुम्हें?”

अरव: “मैं कॉफी वाला हूं। लेकिन शायद तुम्हारे साथ चाय भी ट्राय कर सकता हूं।”

मीरा ने यह पढ़कर एक स्माइली भेजी।

कुछ दिनों बाद मीरा ऑफिस में वापस आई। वह पहले से बेहतर दिख रही थी। अरव ने उसे देख कर हल्के से मुस्कुरायाऔर मीरा ने भी उसकी ओर देखकर हंस दिया।

थैंक यूअरव। उन दिनों तुमसे बात करना सच में मददगार था। मैं बहुत अकेला महसूस कर रही थीलेकिन तुमने मुझे महसूस कराया कि मैं अकेली नहीं हूं।”

अरव ने पहली बार अपने भीतर इतना आत्मविश्वास महसूस किया। उसने जवाब दिया, “मैं हमेशा तुम्हारे लिए यहां हूंमीरा। बस याद रखना।”

मीरा की आंखों में हल्की चमक थी। दोनों के बीच जो शुरुआत हुई थीवह अब एक खूबसूरत दोस्ती की ओर बढ़ रही थी—और शायदउससे भी ज्यादा।

अगले कुछ दिनों में अरव और मीरा के बीच बातचीत का सिलसिला बढ़ता गया। वह पहली बार अपने सहज स्वभाव से बाहर निकलकर किसी से इतनी बार बात कर रहा था। मीराजो पहले सिर्फ एक सहकर्मी थीअब उसकी दिनचर्या का अहम हिस्सा बन चुकी थी।

मीरा के ऑफिस लौटने के पहले दिनअरव ने हल्के से मुस्कुराकर उसे देखा।

तुम्हें वापस देखकर अच्छा लगा। अब कैसी हो?” उसने पूछा।

अब बेहतर महसूस कर रही हूं। और थैंक यूउन दिनों तुमसे बात करना सच में राहत भरा था,” मीरा ने जवाब दिया।

अरव थोड़ा झिझकते हुए बोला, “मुझे लगा कि तुम अकेलापन महसूस कर रही होगीतो सोचा कि बात करना ठीक रहेगा।”

मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, “तुमने सच में बहुत मदद कीअरव। तुम्हारी बातों ने मुझे बेहतर महसूस कराया।”

उनकी यह सहज बातचीत उनके बीच एक नया रिश्ता बना रही थी।

उस शाममीरा ने पहली बार अरव को मैसेज किया।

मीरा: “हायअरव! आज का दिन अच्छा रहा। थैंक यू फिर से।”

अरव ने तुरंत जवाब दिया।

अरव: “हायमीरा। मेरा दिन तो बस तुम्हें बेहतर हालत में देखकर ही अच्छा हो गया।”

मीरा ने जवाब में एक मुस्कुराते हुए इमोजी भेजा।

उनके बीच बातें अब सिर्फ स्वास्थ्य तक सीमित नहीं रहीं। वे अपनी पसंद-नापसंदजीवन के अनुभव और ऑफिस की छोटी-छोटी बातों पर भी खुलकर चर्चा करने लगे।

मीरा: “अरवक्या तुम्हें कभी लगता है कि जिंदगी की रूटीन हमें बहुत बांध लेती है?”

अरव: “कभी-कभी। लेकिन मुझे लगता है कि कुछ खास लोग हमें इस रूटीन में भी खुशी ढूंढना सिखा देते हैं।”

मीरा ने थोड़ा रुककर जवाब दिया, “शायद तुम ठीक कह रहे हो। तुम ऐसे इंसान होजो साधारण में भी कुछ खास ढूंढ लेते हो।”

अरव ने महसूस किया कि मीरा उसकी तारीफ कर रही थीऔर वह हल्का-सा मुस्कुरा दिया।

अब वे रोज़ाना बात करने लगे थे। ऑफिस के बाद ट्रेन में सफर करते हुए अरव हमेशा फोन पर मीरा के मैसेज का इंतजार करता। मीरा ने भी महसूस किया कि अरव की सादगी और उसकी परवाह में एक अलग ही जादू था।

एक दिन मीरा ने अचानक पूछा, “अरवतुम्हारी जिंदगी में कोई खास दोस्त नहीं हैमेरा मतलबकोई ऐसा जिससे तुम अपने दिल की बात कर सको?”

अरव थोड़ा झिझकते हुए बोला, “सच कहूं तो नहीं। मैंने हमेशा खुद को थोड़ा अलग ही रखा है। शायद मुझे कभी किसी ने इतना समझा ही नहीं।”

मीरा ने हल्के से कहा, “शायद अब वक्त आ गया है कि तुम बदलो। हर इंसान को किसी न किसी की जरूरत होती है। और तुम भी अपवाद नहीं हो।”

ट्रिप खत्म होने के बादजब वे मुंबई लौटेतो अरव के दिल में एक अजीब सी खुशी थी। अब वह अपने ऑफिस के कामों में भी पहले से ज्यादा सक्रिय हो गया था। मीरा से मिलने की उम्मीद ही उसके लिए दिन को खुशनुमा बना देती थी।

मीरा भी अब उसकी कंपनी में सहज महसूस कर रही थी। दोनों साथ में चाय पीतेऑफिस की बातों पर हंसतेऔर कभी-कभी गंभीर विषयों पर चर्चा करते।

एक शाममीरा ने अरव से कहा, “अरवइस वीकेंड फ्री होमुझे कुछ शॉपिंग करनी है। अगर तुम मेरे साथ चल सको तो अच्छा रहेगा। वैसे भीमुझे तुम्हारी ईमानदार राय चाहिए होगी।”

अरव के लिए यह बड़ा सरप्राइज था। उसने तुरंत हामी भर दी।

वीकेंड पर मीरा और अरव एक बड़े मॉल में मिले। मीरा ने अपनी चुलबुली हंसी और अंदाज से माहौल को हल्का कर दिया। अरवजो आमतौर पर इतना सहज नहीं थाउस दिन पूरी तरह बदल गया।

तुम्हारी राय में यह ड्रेस कैसी है?” मीरा ने एक सुंदर सफेद ड्रेस दिखाते हुए पूछा।

अच्छी है। लेकिन मुझे लगता हैतुम्हारे व्यक्तित्व के हिसाब से थोड़ा और रंग होना चाहिए,” अरव ने मुस्कुराते हुए कहा।

वाह! मुझे नहीं पता था कि तुम फैशन में भी एक्सपर्ट हो,” मीरा ने मजाक में कहा।

उस दिन शॉपिंग के दौरान और बाद में कॉफी पीते हुएदोनों ने महसूस किया कि उनके बीच कुछ अलग सा कनेक्शन है। अरव के मन में यह सवाल अब और गहराई से उठने लगा कि क्या यह सिर्फ दोस्ती हैया उससे कुछ ज्यादा।

मीरा ने भी यह महसूस किया कि अरव की सादगी और उसकी परवाह में एक खास बात थी। दोनों के बीच अब सिर्फ एक ऑफिस के सहकर्मी का रिश्ता नहीं रह गया था।

अरवजो अब तक मीरा के साथ बिताए हर पल को संजो रहा थाअकेले में खुद से पूछता, “क्या यह वही एहसास हैजिसे प्यार कहते हैंऔर अगर हांतो क्या मीरा भी इसे महसूस करती है?”

मीरा के मन में भी हलचल थी। लेकिन वह अभी भी इस बात को लेकर अनिश्चित थी कि यह कनेक्शन क्या रूप लेगा।

अरव और मीरा की बढ़ती नज़दीकियां अब ऑफिस के हर कोने में चर्चा का विषय बन चुकी थीं। लंच टाइम होकिसी प्रोजेक्ट की मीटिंगया कॉफी ब्रेक—जहां मीरा होतीवहां अरव भी होता।

तुम दोनों तो जैसे पैकेज डील हो,” एक दिन उनकी टीम के एक सदस्य ने हंसते हुए कहा।

मीरा ने उसकी बात पर मुस्कुराकर जवाब दिया, “अरेदोस्त हैं और दोस्ती का मतलब होता है साथ रहना।”

लेकिन अरव इन बातों से थोड़ा असहज हो जाता। उसे महसूस होता कि उसकी भावनाएं कहीं न कहीं उसके चेहरे पर झलकने लगी थीं।

एक शामजब दोनों ऑफिस से निकल रहे थेमीरा ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “अरवतुम्हें पता हैलोग क्या कहते हैंइससे मुझे वाकई फर्क नहीं पड़ता। दोस्ती हर रिश्ते से ऊपर होती है।”

अरव ने सिर हिलाते हुए कहा, “हांशायद तुम सही कह रही हो। लेकिन मुझे कभी-कभी लगता है कि मैं इन चीजों को लेकर बहुत ज्यादा सोचता हूं।”

तुम बहुत सोचते होअरव। ज़िंदगी को थोड़ा हल्के में लेना सीखो।” मीरा ने उसकी तरफ देखकर कहा और फिर अपनी चिर-परिचित चुलबुली हंसी में खिलखिला उठी।

कुछ दिन बादऑफिस में मीरा का जन्मदिन आया। पूरी टीम ने उसके लिए एक छोटा-सा सेलिब्रेशन प्लान किया। केक काटने के बाद जब सब अपने काम में व्यस्त हो गएअरव ने मीरा को एक छोटा-सा गिफ्ट दिया—एक खूबसूरत डायरी।

ये तुम्हारे लिए। तुम कहती हो नजिंदगी को हल्के में लेना चाहिएतो सोचा कि तुम अपने ख्याल इसमें लिख सकती हो,” अरव ने झिझकते हुए कहा।

मीरा ने गिफ्ट को देखकर कहा, “यह सच में बहुत प्यारा हैअरव। तुमने मेरे लिए इतने ध्यान से कुछ सोचामुझे बहुत अच्छा लगा।”

उस दिन के बाद सेअरव में थोड़ा बदलाव आने लगा। वह अब ज्यादा सहज हो गया थाखासकर मीरा के सामने। वह अब उसके चुटकुलों पर खुलकर हंसताउससे अपनी राय साझा करताऔर उसकी छोटी-छोटी बातों को ध्यान से सुनता।

हालांकिमीरा ने भी यह महसूस किया कि अरव उसके लिए कुछ खास महसूस करता है। उसके नज़रिए और व्यवहार में एक अलग गहराई थी। लेकिन मीरा के मन में यह सवाल बार-बार उठता कि क्या वह भी अरव के लिए वैसा ही महसूस करती है।

एक दिनमीरा ने उसे पूछ ही लिया, “अरवतुम्हें कभी ऐसा लगता है कि कुछ रिश्ते सिर्फ दोस्ती से ज्यादा होते हैं?”

अरव इस सवाल से थोड़ा चौंक गया। उसने कुछ देर सोचने के बाद कहा, “हांकभी-कभी लगता है। लेकिन ऐसे रिश्ते तब ही खास होते हैंजब दोनों लोग एक ही तरह से महसूस करें।”

मीरा ने उसकी बात सुनीलेकिन कोई जवाब नहीं दिया।

मीरा और अरव के बीच अब भी एक अनकहा सा एहसास बना हुआ था। दोनों एक-दूसरे के करीब थेलेकिन अपने-अपने मन की उलझनों में फंसे हुए।

मीरा कभी-कभी अपने दोस्तों के साथ मस्ती करतीलेकिन जब भी अरव आसपास होतावह उसे ज्यादा तवज्जो देती। दूसरी ओरअरव अब भी हर छोटी-सी बात में मीरा को खुश देखने की कोशिश करता।

सबकुछ ठीक चल रहा था जब राजबैंक का नया सहकर्मीटीम में शामिल हुआ। राज आत्मविश्वास से भरास्मार्ट और मजाकिया स्वभाव का था। वह बहुत जल्दी सबका चहेता बन गया। उसकी बातों में एक अलग आकर्षण थाऔर हर कोई उससे प्रभावित था।

मीरा और राज की दोस्ती भी जल्दी ही गहरी हो गई। राज का मीरा के साथ हंसी-मजाक करनाउसे कॉफी के लिए बुलानाऔर मीरा का उन पलों में सहज रहनाअरव को भीतर तक परेशान कर गया। अरव को लगने लगा जैसे उसकी और मीरा की दुनिया अलग हो रही थी।

मीराजो पहले हर छोटी-बड़ी बात में अरव के साथ होती थीअब राज के साथ ज्यादा समय बिताने लगी थी। अरव ने खुद को एक अजीब सी बेचैनी में घिरा पाया। उसकी खामोश दुनिया में जैसे हलचल मच गई थी।

अरव ने इस बदलाव से खुद को दूर करने की कोशिश की। वह धीरे-धीरे मीरा से दूरी बनाने लगा। जहां पहले वह लंच में मीरा का इंतजार करता थाअब वह अकेले खाने लगा। जहां पहले वह कॉफी ब्रेक में मीरा का साथ चाहता थाअब वह ब्रेक के दौरान फाइलों में खोया रहता।

मीरा ने इस बदलाव को महसूस किया। उसने कई बार अरव से बात करने की कोशिश कीलेकिन हर बार अरव कोई बहाना बनाकर बच जाता।

एक दिनलंच ब्रेक के दौरानमीरा ने आखिरकार अरव को रोक ही लिया।

अरवयह सब क्या हैतुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रहे होक्या मैंने कुछ गलत किया?” मीरा की आवाज़ में नाराजगी नहींबल्कि गहरी चिंता झलक रही थी।

अरव ने सिर झुकाते हुए कहा, “नहीं मीरातुमने कुछ भी गलत नहीं किया। बस… मुझे लगता है कि मैं तुम्हारी दुनिया का हिस्सा नहीं हूँ।”

मीरा ने आश्चर्य से पूछा, “तुम ऐसा क्यों सोचते हो?”

अरव ने धीमे स्वर में जवाब दिया, “राज जैसे लोग तुम्हारे दोस्त हैं—आत्मविश्वास से भरेस्मार्टऔर आकर्षक। मैं… मैं तो बस एक साधारण आदमी हूँ। तुम्हारे लायक नहीं।”

मीरा ने उसकी बात ध्यान से सुनी। उसके चेहरे पर पहले आश्चर्यफिर नाराजगी और फिर गहरी संवेदना उभर आई। उसने अरव की आँखों में देखा। उसकी आँखों में नमी थीलेकिन उसकी आवाज़ में दृढ़ता थी।

अरवतुम क्यों नहीं समझतेदोस्ती और रिश्ते आत्मविश्वासस्मार्टनेसया आकर्षक व्यक्तित्व से नहीं बनते। ये दिल से बनते हैं। मुझे राज या किसी और की ज़रूरत नहीं है। मुझे तुम्हारी ज़रूरत है। तुम्हारी सादगीतुम्हारी ईमानदारी—यही मुझे खास लगती है।”

अरव ने उसकी बात सुनकर सिर झुका लिया। उसके पास कोई शब्द नहीं थे।

मीरा ने उसकी खामोशी तोड़ी। “तुम सोचते हो कि तुम साधारण हो। लेकिन तुम्हारी सादगी में जो सच्चाई और गहराई हैवही सबसे खूबसूरत चीज़ है। मैं रिश्तों में दिखावे पर यकीन नहीं करती। मुझे असली लोग पसंद हैंऔर तुम उनमें से एक हो।”

उस रातअरव ने खुद से कई सवाल किए। क्या वाकई वह इतना साधारण थाजितना वह खुद को समझता थामीरा ने जो कहाक्या वह सच में ऐसा सोचती थी?

मीरा के शब्द उसके कानों में गूंजते रहे: “मुझे तुम जैसे इंसान की ज़रूरत हैजो सच्चे होंजो मुझे समझते हों।”

अरव को पहली बार अपने आप में कुछ अलग महसूस हुआ। उसे लगा कि शायद वह खुद को कम आंकता था।

जैसे-जैसे समय बीतता गयाआरव और मीरा के बीच का रिश्ता अपनी ही धारा में बहता रहा। यह धारा आरव के लिए कभी सुखद नहीं रही। दोनों ने एक गहरी दोस्ती बनाईलेकिन मीरा धीरे-धीरे आरव को अपनी ज़रूरतें पूरी करने का माध्यम बना बैठी। जब उसे सहारे की ज़रूरत होतीवह आरव को याद करतीलेकिन जैसे ही उसकी समस्याएँ सुलझतींवह उसे नज़रअंदाज़ कर देती।

एक दिन मीरा ने आरव से कहा, “आरवमुझे तुमसे बात करनी है।”

क्या हुआ?” आरव ने चिंता के साथ पूछा।

मुझे बहुत उदासी हो रही है। क्या तुम मेरे साथ कुछ समय बिता सकते हो?” मीरा ने अपने स्वर में उम्मीद लाते हुए कहा।

बिल्कुलमैं हूँ न,” आरव ने तुरंत हामी भरी। उस शाम उन्होंने घंटों बातें कीं। मीरा ने अपनी सारी परेशानियाँ साझा कींऔर आरव ने उसे हर संभव सांत्वना दी। वह उसकी मजबूती का स्तंभ बन गया।

लेकिन जैसे ही मीरा की परेशानियाँ खत्म हुईंउसने आरव को फिर से नज़रअंदाज़ करना शुरू कर दिया। आरव के लिए यह स्थिति परेशान करने वाली थीलेकिन उसने अपने दिल की टीस को दबा लिया।

कुछ समय बाद मीरा ने फिर से संपर्क किया।

आरवक्या तुम मेरी मदद कर सकते होमुझे नई नौकरी की ज़रूरत है,” उसने सीधे कहा।

आरव ने हल्की झिझक के बाद कहा, “हाँमैं कर दूँगा।”

उसने अपनी पूरी कोशिश की और मीरा को नई नौकरी दिलाने में मदद की। लेकिन जब मीरा अपने नए काम में व्यस्त हो गईतो उसने फिर से आरव को भूल जाना बेहतर समझा।

दिन बीतते गएऔर मीरा की ज़िंदगी में नए लोग आए। वह अपनी नई नौकरी में व्यस्त हो गई और धीरे-धीरे अरव से पूरी तरह से दूर हो गई। अरव ने भी खुद को व्यस्त रखने की कोशिश कीलेकिन उसे मीरा की कमी हर वक्त महसूस होती थी।

एक दिनमीरा ने उसे एक संदेश भेजा: “हायअरव! क्या तुम मेरे साथ एक पार्टी में चलोगेवहाँ बहुत मज़ा आएगा।”

अरव ने सोचा, “यह वही मीरा हैजो सिर्फ अपनी खुशी के लिए मुझे याद करती है।” फिर भीउसने कहा, “हाँचलो चलते हैं।”

पार्टी मेंमीरा ने कई नए दोस्तों के साथ समय बिताया और अरव को एक कोने में छोड़ दिया। जब वह उसकी जरूरत नहीं थीतो वह उसे पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही थी।

मुंबई की उस हल्की सर्द शाम में आरव ने अपने दिल को समझाने की पूरी कोशिश की कि मीरा का अचानक संपर्क करना शायद उसके लिए अब कोई मायने नहीं रखता। परंतुभीतर कहीं एक छोटी सी आशा अब भी उसे मीरा से जुड़ने की ओर खींच रही थी। उसे अच्छी तरह याद थापार्टी की वो रात जब मीरा ने उसे अपने दोस्तों के बीच अकेला छोड़ दिया थाऔर आज वही मीराअपने समय की कमी को लेकर सवाल पूछ रही थी।

फोन को एक ओर रखकरआरव खिड़की के पास बैठ गया। उसकी नज़रें बाहर गिरती हल्की बूंदों पर टिकी थींऔर मन उन पलों में कहीं खो गया जब उसने मीरा के हर इशारे को महत्व दिया थाहर जरूरत पर उसके साथ खड़ा था। उन यादों ने उसके दिल में हल्की टीस पैदा कीपर उसने खुद को संभाला। उसने महसूस किया कि मीरा के लिए उसका होना महज़ एक विकल्प थाजरूरत पड़ने पर ही याद किया जाने वाला इंसान।

कुछ मिनटों के बाद फोन पर मीरा का एक और संदेश आया, “मैं तुम्हें मिस करती हूँआरव। तुम्हारे बिना सब अधूरा सा लगता है। क्या हम फिर से वैसे नहीं हो सकते जैसे पहले थे?”

आरव ने ये पढ़ा और एक गहरी सांस ली। कभी-कभी जब मीरा ऐसे शब्द कहतीवो पिघल जाता थालेकिन आज आरव को ये सब बस शब्दों का खेल लग रहा था। उसने सोचाक्यों मैं हमेशा वही गलती दोहराता हूँक्यों किसी के वापसी के शब्दों को इतने गंभीरता से लेता हूँ जब उसका असली मकसद सिर्फ अपनी सुविधा होता है?

आरव ने इस बार अपनी भावनाओं को समझाने का फैसला किया। उसने मीरा को एक जवाब लिखा, “मीरामेरे लिए तुम हमेशा खास रहोगी। लेकिन मुझे एहसास हो गया है कि तुम्हारे लिए मैं एक सच्चा साथी नहीं थाबल्कि बस एक सहारा था। मैंने हमेशा अपना सब कुछ दियापर अब मुझे लगता है कि मैं खुद से अन्याय कर रहा हूँ। मुझे अपनी खुशी और अपनी ज़िंदगी का हक हैऔर वो मैं तुम्हारे बिना ही तलाशना चाहता हूँ।”

संदेश भेजने के बाद उसके मन में हल्का-सा खालीपन थापर कहीं न कहीं उसने एक राहत महसूस की। ऐसा लग रहा था मानो एक बोझ उसके दिल से उतर गया हो। उसने तय किया कि अब वो खुद के साथ रहेगाअपने लिए जीना सीखेगा। उसे समझ में आ गया था कि उसका प्रेम सच्चा थापर मीरा का उसकी ओर झुकाव सिर्फ एक क्षणिक सहारा थाएक ऐसा रिश्ता जिसमें प्रेम की वो गहराई नहीं थी जिसे वो सच्चा मानता।

मुंबई की हल्की-सी सर्द शाम थी। बारिश थमी हुई थीऔर हवा में हल्की ठंडक घुली थी। आरव अपने कमरे में बैठा खिड़की से बाहर देख रहा थाजैसे खुद से कुछ सवाल कर रहा हो। उसके जीवन में हाल के दिनों में कई उथल-पुथल हुई थीं। उसने कई बार प्यार कियालेकिन हर बार उसे केवल चोट मिली। दिल में एक सवाल बार-बार गूंजता रहा—क्या वो हर बार गलत इंसान को चुनता है?

तभी उसका फोन बजा। स्क्रीन पर एक नाम चमक रहा था—मीरा। वही मीराजिससे उसने कभी बहुत प्यार किया था। कई दिनों से बात नहीं हुई थीफिर अचानक उसका मैसेज आया।

मीरा: “तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रहेमुझे इग्नोर क्यों कर रहे हो?”

आरव ने फीकी मुस्कान के साथ मैसेज पढ़ा। ये सवाल अब उसे चौंकाता नहीं था। वो जानता था कि मीरा कब उसे याद करती है—जब उसके पास और कोई नहीं होता। उसने एक लंबी सांस लीमानो पिछली सभी यादें उसकी आँखों के सामने घूम गईं। उसने हमेशा अपना दिल और समय मीरा को दिया थालेकिन बदले में उसे हमेशा मायूसी मिली। मीरा की दुनिया में लोग हमेशा भरे रहते थे। वह कभी अकेली नहीं होती थीऔर आरव… वो सिर्फ तब याद आता था जब बाकी लोग व्यस्त होते।

आरव ने कुछ पल सोचाफिर धीरे-धीरे टाइप किया:

आरव: “जिसके पास बहुत लोग होते हैं न बात करने के लिएउससे दूरियां ही बेहतर हैं।”

फिर उसने फोन एक तरफ रख दिया। दिल में हल्की बेचैनी थीलेकिन उसने महसूस किया कि यही सही था। उसने खुद से कहा कि अब वो खुद को इन भावनाओं से दूर रखेगा। जब फोन फिर से बजातो मीरा का दूसरा मैसेज आया।

मीरा: “लेकिन आरवतुम सबसे अलग हो। तुम्हारे साथ बात करना… it’s special.”

आरव ने मैसेज पढ़ा और एक क्षण के लिए उसकी आँखों में पुराने दिनों की हल्की सी चमक आईलेकिन फिर सबकुछ मुरझा गया। उसने खुद से वादा किया था कि अब वो खुद को संभालेगा। उसने एक लंबा संदेश टाइप किया:

आरव: “मीरामेरे लिए तुम हमेशा खास रहोगी। लेकिन अब मुझे एहसास हुआ है कि मैं तुम्हारे लिए बस एक सहारा थावो साथी नहीं जो हमेशा के लिए रह सके। मैंने तुम्हें अपना सब कुछ दियापर अब मुझे लगता है कि मैं खुद से अन्याय कर रहा था। मुझे अपनी खुशी और अपनी ज़िंदगी का हक हैऔर अब मैं उसे तुम्हारे बिना ही तलाशना चाहता हूँ।”

आरव ने उस रात खुद से वादा कर लिया था, “अब और नहीं। मैं अपने आप को और चोट नहीं पहुंचा सकता। मेरा दिल अब थक चुका है।” उसने अपने भीतर बसे उस प्यार के दरवाज़े को बंद कर दिया और तय कर लिया कि अब वह किसी और से कोई उम्मीद नहीं रखेगा। उसी वक्त मीरा का मैसेज आया, “क्या हम मिल सकते हैंबात करनी है। मुझे लगता है कि हमें चीज़ें साफ़ करनी चाहिए।”

आरव ने कुछ देर सोचा। उसे एहसास था कि मीरा के सामने बात करना आसान नहीं होगालेकिन ये भी ज़रूरी था ताकि वह इस अधूरे अध्याय को हमेशा के लिए बंद कर सके। आखिरकारउसने मिलने के लिए हामी भर दी। दोनों एक कॉफी शॉप में मिले। मीरा के चेहरे पर हल्की मुस्कान थीजबकि आरव गंभीर था। बातचीत पहले हल्की-फुल्की रहीलेकिन कुछ देर बाद असली मुद्दे पर आ ही गई।

मीरा ने थोड़ा असहज होकर कहा, “देखो आरवमैं समझती हूँ कि हम दोनों के बीच कुछ थापर मैं उतनी इन्वेस्टेड नहीं थी जितना तुम थे। शायद मैंने तुम्हें ये ठीक से नहीं बताया।”

आरव ने गहरी सांस ली, “मीरामैंने तुमसे कभी कुछ ज्यादा नहीं माँगा थाबस ये चाहता था कि तुम मुझे उसी नजर से देखोजैसे मैं तुम्हें देखता था। लेकिन अब लगता है कि मैं हमेशा गलत लोगों के पीछे भागता रहा हूँ।”

मीरा उसकी आँखों में देख रही थी। वह जानती थी कि उसने अनजाने में आरव को चोट पहुंचाई थी। पर अब उसके पास कहने को कुछ नहीं था। एक ठहराव में दोनों समझ गए थे कि ये रिश्ता वैसा नहीं था जैसा आरव ने सोचा था।

मीरा भावुक होकर बोली, “मैं कभी तुम्हें तकलीफ नहीं देना चाहती थी। शायद हम दोनों ने कुछ बातें ठीक से समझी ही नहीं।”

आरव ने धीरे से कहा, “शायद। लेकिन अब मैं कुछ और नहीं सोच सकता। मैं प्यार के लिए बहुत लड़ चुका हूँऔर अब इस हिस्से को हमेशा के लिए बंद करना चाहता हूँ।”

मीरा चुप रही। उसे समझ आ गया था कि आरव अब उस राह पर नहीं जाना चाहता।

तो अब हम क्या करें?” मीरा ने पूछा।

आरव ने शांत स्वर में कहा, “हम दोस्त रह सकते हैंअगर तुम चाहो। लेकिन मैं अब उस रिश्ते को वो नाम नहीं दे सकता जो मैं कभी देना चाहता था। वक्त ही तय करेगा कि हमारी दोस्ती कहाँ जाती हैपर प्यार का दरवाज़ा मेरे लिए अब हमेशा के लिए बंद हो चुका है।”

एक लंबी चुप्पी के बादमीरा ने सिर हिलाते हुए सहमति जताई। “ठीक हैहम दोस्त रहेंगे। जो हुआउसे पीछे छोड़ देते हैं।”

दोनों ने हल्की मुस्कान का आदान-प्रदान कियाऔर बातचीत धीरे-धीरे खत्म हो गई। वे समझ चुके थे कि उनके रिश्ते की दिशा अब बदल चुकी थी। एक समय था जब आरव का दिल मीरा के लिए धड़कता थापर अब वह दरवाजा बंद हो चुका था।

कॉफी खत्म करदोनों उठे और बाहर की ओर बढ़े। हल्की ठंडक और बारिश की नमी हवा में तैर रही थी। आरव ने मीरा से विदा ली और अपने रास्ते पर चल पड़ायह जानते हुए कि अब उसकी जिंदगी में प्यार के लिए कोई जगह नहीं बची थी। मन ही मन उसने सोचा, “अब और नहीं। अब मैं खुद के लिए जियूँगा।”

वो घटनाजब आरव और मीरा ने अपने रास्ते अलग किए थेजीवन का एक बड़ा मोड़ बन गई। आरव ने उस दिन के बाद प्यार और रिश्तों के बारे में अपनी सोच बदल दी थी। उसने अपने सारे जज़्बात खुद में समेट लिए और खुद को अपने करियर में डुबो दिया। प्यार का दरवाजा जो उसने हमेशा के लिए बंद कर लिया थाअब उसकी जिंदगी का हिस्सा नहीं था।

समय बीताऔर आरव की मेहनत रंग लाई। उसे एक शानदार अवसर मिलाजिससे वह विदेश में सेटल हो गया। उसने अपने करियर में काफी ऊंचाइयां हासिल कींऔर धीरे-धीरे एक नई जिंदगी की तरफ बढ़ता गया। वहींमीरा की जिंदगी भी अपनी दिशा में चल पड़ी। कुछ असफल रिश्तों के बादउसने अपने माता-पिता की पसंद से एक लड़के से शादी कर ली। दोनों अपनी-अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गएलेकिन बीच-बीच में कभी-कभी एक-दूसरे से संपर्क कर लिया करते थेसिर्फ यह जानने के लिए कि उनकी जिंदगी कैसी चल रही है। हालांकिवे अब अलग टाइम ज़ोन और जीवनशैली में थेफिर भी पुरानी दोस्ती की एक हल्की चमक बरकरार रही।

आरव ने विदेश में अपनी जिंदगी बसाईवहीं स्थायी नागरिकता हासिल कीऔर वक्त के साथ उसने भी शादी कर ली। शादी उसके लिए बस एक सामाजिक कर्तव्य थाजिसे वह अपने माता-पिता के कहने पर निभा रहा था। प्यार के प्रति उसके दिल में कभी वैसी जगह नहीं रहीपर उसने जिंदगी को व्यावहारिक रूप से जीना सीख लिया था।

सालों बीत गए थेऔर वक्त के साथ आरव और मीरा की जिंदगियां अपने-अपने रास्तों पर बह चली थीं। इस दौरान कई मौसम बदलेकई सपने टूटे और बनेपर एक चीज़ जो दोनों के दिल में हमेशा हल्की सी चमकती रहीवो थी उन बीते पलों की मीठी-सी यादें। आरव अपने करियर में आगे बढ़ चुका था। विदेश में उसे एक बड़ा मुकाम मिल चुका थानई ज़िंदगीनया देशनए लोगलेकिन कहीं न कहीं उसकी गहरी यादों के किसी कोने में वो पुरानी कहानी अब भी छिपी हुई थी। उधरमीरा ने भी शादी कर ली थी और अपनी जिंदगी के साथ आगे बढ़ गई थी। पर हर रिश्ते की एक छाप होती हैऔर कुछ रिश्ते भले ही मुकम्मल न होंमगर अपने हिस्से की गहराई छोड़ जाते हैं।

एक दिनआरव भारत एक छुट्टी पर आया था। वह वापस लौटने के लिए एयरपोर्ट पर अपनी कनेक्टिंग फ्लाइट का इंतजार कर रहा था। भीड़ के शोर के बीचलोग अपनी-अपनी गाड़ियों मेंसामान के साथ इधर-उधर भाग रहे थे। उसी भीड़ में बैठे हुएउसने एयरपोर्ट लाउंज में नज़र घुमाई। और अचानकएक चेहरा उसकी नज़र में ठहर गया—मीरा। वह एक पल के लिए सन्न रह गयामानो वक्त ठहर सा गया हो। उसने खुद से सवाल किया, “क्या ये वही मीरा हैइतने सालों बाद?”

आरव को थोड़ी हैरानी हुईपर उसने हौले से मुस्कुरा दिया। मीरा ने भी उसकी तरफ देखाऔर उसकी मुस्कान ने मीरा की यादों को भी जगा दिया। वह भी मुस्कुराईदोनों की आंखों में एक हल्की चमक थीजो पुराने दिनों की दोस्ती की निशानी थी। दोनों अब पहले से काफी बदल चुके थेचेहरे पर परिपक्वता की परछाईं और आंखों में वक्त का ठहराव था। फिर भीउस लम्हे में जैसे एक पुराना किस्सा फिर से ताज़ा हो गया।

मीरा ने मुस्कुराते हुए कहा, “इतने साल हो गएपर तुम बिलकुल नहीं बदले।”

आरव हंसते हुए बोला, “शायद तुम भी नहीं बदली हो।”

मीरा कुछ सोचते हुए बोली, “तुम्हें याद हैजब हम आखिरी बार मिले थेउसके बाद कितना कुछ बदल गया। हमने सोचा नहीं था कि हम कभी यूँ अचानक मिलेंगे।”

आरव ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, “हाँबहुत कुछ बदल गया। शायद वो एक सही मोड़ था।”

मीरा ने सिर हिलाया। दोनों को अहसास था कि उस बिछड़ने का दर्द भले ही गहरा थापर शायद ज़रूरी भी। अगर उस वक्त वे एक-दूसरे से अलग न हुए होतेतो शायद दोनों ही इस तरह अपनी मंजिलों तक नहीं पहुँच पाते। दोनों ने अपने-अपने हिस्से की लड़ाई लड़ी थीचोट खाई थीऔर अपने जीवन को फिर से संवारने की कोशिश की थी।

मीरा की आवाज़ में एक गहराई थी, “हमने जिंदगी के बहुत सारे उतार-चढ़ाव देखेहै ना?”

आरव ने एक लंबी सांस लेकर कहा, “हाँलेकिन शायद ये जरूरी भी था। जिंदगी हमें हर मोड़ पर कुछ न कुछ सिखाती है। जो उस वक्त नहीं समझ आएवही चीज़ें अब हमें मजबूत बनाती हैं।”

वक्त धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा थाऔर लाउंज में यात्रियों के अनाउंसमेंट्स की आवाज़ें गूंज रही थीं। आरव की फ्लाइट का बोर्डिंग समय करीब आ रहा था। दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया। वो आलिंगन भले ही पल भर का थापर उन भावनाओं को बयां कर रहा था जो किसी शब्दों की मोहताज नहीं थीं। दोनों ने शायद अब अपने मन में ठान लिया था कि इस आखिरी मिलन में वो अधूरी बातें पूरी कर लेंगे।

मीरा ने गहरी नज़र से उसकी ओर देखा और बोली, “इस बार हम सच में टच में रहेंगेहै न?” उसकी आवाज़ में एक उम्मीद की किरण थीजैसे वो चाहती थी कि उनकी यह मुलाकात आखिरी न हो।

आरव ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “बिलकुल। हम हमेशा दोस्त रहेंगे।” इस एक वादे में दोनों की पुरानी दोस्ती का अहसास और एक नई शुरुआत की झलक थी।

आरव अपनी फ्लाइट के लिए निकल गयाऔर मीरा भी अपने रास्ते पर बढ़ गई। उनके मन में वो पुरानी भावनाएं अब नहीं थींपर एक दोस्ती का गहरा बंधन अब भी बाकी था। जीवन ने उन्हें अलग-अलग रास्तों पर डाल दिया थालेकिन उस पुराने रिश्ते की मिठासउस दोस्ती की गरिमा अब भी उनके दिल के किसी कोने में ज़िंदा थी।

फ्लाइट के दरवाज़े के पास पहुँचते हुए आरव ने एक आखिरी बार मुड़कर देखामानो वो अपने अतीत के उस पन्ने को आखिरी बार देख रहा हो। उसे एहसास हुआ कि वो पुरानी कहानी हमेशा उसकी जिंदगी का हिस्सा रहेगीपर अब वो उसके वर्तमान में जगह नहीं रखती। दोनों ने वक्त के साथ अपने रास्ते बदल लिए थेलेकिन एक-दूसरे के प्रति सम्मान और वो पुरानी यादेंजो कभी-कभी दिल को गुदगुदा जाती थींउन्हें हमेशा के लिए जोड़ती रहेंगी।

एयरपोर्ट पर उनकी वो छोटी सी मुलाकात उनके दिलों में ये याद दिलाने के लिए काफी थी कि जिंदगी कैसे बदलती हैऔर लोग भी। आखिरी बार विदा लेते हुए दोनों ने वादा किया कि वो एक-दूसरे से जुड़े रहेंगेचाहे जीवन उन्हें कहीं भी ले जाए। दोनों अपने-अपने रास्तों पर बढ़ गए—आरव अपनी फ्लाइट की तरफऔर मीरा अपनी जिंदगी की ओर।

जैसे-जैसे वक्त गुजरेगाजिंदगी के इस नए अध्याय में नए लोगनई जगहें और नए अनुभव जुड़ेंगेलेकिन इस मुलाकात की हल्की सी मिठास और पुरानी दोस्ती की याद हमेशा उनकी जिंदगी का हिस्सा रहेगी।

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