वीर भोग्या वसुंधरा
“वीर भोग्या वसुंधरा”, यह केवल एक पंक्ति नहीं, बल्कि एक पूरी जीवन-दृष्टि है। संस्कृत की यह सूक्ति अपने भीतर अपार गर्व, साहस और कर्तव्यबोध समेटे हुए है। इसका अर्थ है, ‘धरती वीरों के द्वारा भोगी जाती है।’ अर्थात, केवल वे ही लोग इस धरती पर अधिकार और सम्मान प्राप्त करते हैं जो पराक्रमी हैं, जो साहसी हैं, जो अपने कर्म, संघर्ष और आत्मबल से इतिहास की धारा मोड़ने का साहस रखते हैं। यह वाक्य एक प्रेरणा है उन सभी के लिए जो अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देखते हैं। यह उन युवाओं के लिए संदेश है जो चुनौतियों से डरकर पीछे हटने की सोचते हैं। जीवन कोई सजावट की वस्तु नहीं है जिसे केवल देखकर खुश हुआ जाए, बल्कि यह युद्धभूमि है जहां हर दिन नए युद्ध लड़ने होते हैं—कभी अपने विचारों से, कभी अपने डर से, कभी समाज की सीमाओं से और कभी अपनी ही कमजोरियों से।
वीर वह नहीं जो
तलवार लेकर रणभूमि में उतरता है, बल्कि वह है जो सच्चाई के लिए अकेले खड़ा होता
है, जो अपने परिवार, समाज और राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर
करने का साहस रखता है। एक छात्र जो अपने सपनों के लिए दिन-रात मेहनत करता है, एक किसान जो
धूप-बारिश में भी खेतों में डटा रहता है, एक सैनिक जो सीमा पर खड़ा
है, एक मां जो अपने बच्चों के लिए अपना जीवन समर्पित करती है, ये सब वीर हैं। और इन्हीं के कारण यह वसुंधरा हरी-भरी है, जीवंत है। इतिहास गवाह है कि पृथ्वी ने सदैव उन्हीं को अपना बना लिया जिन्होंने उसे अपने
पराक्रम से जीता। चाहे वह महाराणा प्रताप हों, छत्रपति शिवाजी महाराज, रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह या फिर
एपीजे अब्दुल कलाम, इन सभी ने अपने-अपने क्षेत्र
में वीरता का परिचय देकर यह सिद्ध कर दिया कि सम्मान और अधिकार केवल उन्हें ही
मिलता है जो निडर होते हैं।
आज जब हम आधुनिक
युग में हैं, तब भी “वीर भोग्या वसुंधरा” की प्रासंगिकता कम नहीं हुई है। आज भी सफलता
उन्हीं के हिस्से आती है जो मेहनत करने से नहीं डरते, जो बार-बार
गिरने के बाद भी उठते हैं, जो अपने लक्ष्य के लिए तपते हैं। चाहे वह कोई
नौकरी हो, कोई परीक्षा हो, या कोई व्यक्तिगत संघर्ष—धरती आज भी उसी की है
जो अपनी कड़ी मेहनत और साहस से उसे जीतता है। तो यदि तुम भी
अपने जीवन में कुछ बड़ा करना चाहते हो, यदि तुम भी चाहते हो कि यह
वसुंधरा तुम्हें अपनाए, तुम्हें सम्मान दे, तुम्हारे होने
पर गर्व करे—तो उठो, संघर्ष करो, अपने डर से लड़ो
और कर्मपथ पर वीरता से आगे बढ़ो। क्योंकि अंततः "वीर भोग्या
वसुंधरा।"
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