मैं बिहारी हूँ
हम बिहारवासियों की सूर्य के साथ समानता है। दुनिया का कोई कोना नहीं जहाँ हमारी उपस्थिति नहीं। कोई चमक नहीं, जहाँ हमारा श्रम नहीं।
पंजाब-हरियाणा के खेतों में मेरा कोई भाई घुटने भर कीचड़ में घुसकर धान रोपता है, सूर्य की किरणों की मदद से पौधे धान बनाते हैं.... सारा हिन्दुस्तान खाता है। मेरा कोई दूसरा भाई मंत्रालय में धान का समर्थन-मूल्य तय करता है और एक तीसरा भाई, ये तय करता है कि धान पर्याप्त हैं कि आयात करना है।
मैं कोकड़ाझाड़ से लेकर कोयम्बटूर तक हूँ । मैं रेलवे के ट्रैक की कुशलता चेक करने से लेकर 35,000 फीट की ऊँचाई पर जहाज के कॉकपिट में हूँ। मैं मुंबई की सड़कों पर दौड़ रही टैक्सी से लेकर, देश चला रहे दिल्ली के नॉर्थ-ब्लॉक के अंतिम पद पर हूँ।
गगनचुंबी ईमारत से लेकर अनाज से भरे गोदाम तक मेरी बाजूओं से निकले हैं। अर्थशास्त्र की नीतियों से लेकर राजनीति के सिद्धांत तक मैं ही लिखता था....मैं ही लिख रहा हूँ ।
आप मेरे "अस्त" होने का भ्रम पाले हैं..... और मैं आपके शहर में अपके लिए नीतियाँ बना रहा हूँ....
सूर्य मुझमें है... मैं सूर्य में हूँ । मैं कभी अस्त नहीं हो सकता.... क्योंकि मैं निस्वार्थी मेहनतकश मजदूर हूँ.....
हाँ, मैं बिहारी हूँ l
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