क्या चाहता हूँ...
न ख्वाब न ख्याल,
न उल-जलूल सवाल,
न दिल में कड़वाहट,
न मन में उबाल,
जिंदगी जीनी हैं अब हमें,
बस इसी हाल... खुशहाल,
चलूँ हर वो डगर, दबा के डर
उम्मीदों पर,
की रास्ते हो न हो मंजिल की ओर,
पर सुहाना हो सफर,
लड़खड़ाऊं भी कभी,
तो ख़ुद को लूँ संभाल,
जिंदगी जीनी हैं अब हमें,
बस इसी हाल खुशहाल...
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