कितने कीमती हो तुम

कभी कभी सोचता हूं कि, कितने कीमती हो तुम,
अपनी पिक्चर के हीरो हो तुम,
ये जो ग़हरी बोलती नजरें हैं तुम्हारी, न जाने इनमें कितनी कहानियां कैद है,
तुम्हारी खुशियां, तुम्हारे ग़म, तुम्हारा अफसोस, तुम्हारा गुस्सा, 
तुम्हारे ज़ुबान नें न जाने कितने ज़ायके चखे होंगे, और कितने लहज़े बदले होंगे,
क़ामयाबी, नाकामयाबी, न जाने ग़म के कितने दाने चबाए हैं, और ग़म के कितने घूंट पीए हैं,
पर सलाम है इस हौसले को,
ये जो तूफ़ान के गुजर जाने के बाद का सवेरा हो, ऐसी मुस्कान लिए घूमते हो,
तुम्हें पता है न, कितने क़ीमती हो तुम,
अपनी पिक्चर के हीरो तो तुम,
देखना एक दिन तुम्हारा हर सपना पूरा होगा,
कहीं किसी ऊंचाई पर तुम्हारा भी अपना घर होगा,
समंदर के किनारे से आती हवा रात को तुम्हारे भी पास से होकर गुजरेगी,
चांद कहीं खिड़की से ताकता होगा और मेरी आवाज़ आएगी,
कहा था न मैंने " कीमती हो तुम, अपनी पिक्चर के हीरो तो तुम"।

Comments

Popular posts from this blog

Battles Behind Every Smile

Freedom In Love

Cost of Experience