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Showing posts from May, 2024

प्रश्न

हम ने शब्दों का सहारा शायद इसलिए लिया क्योंकि परिस्थितियों पर हमारा बस नहीं चलता। प्रश्नों का एक दौर चला पर उत्तर कहीं नहीं दिखा। फिर और प्रश्न , पर कोई उत्तर नहीं। फिर एक सुबह , कोई प्रश्न नहीं किया स्वयं से , कि क्यों ? मैं क्यों ? हर बार सिर्फ मैं क्यों ? अभी क्यों ? इन सारे क्यों को मैंने एक पोटली में मैंने यह कह कर बंद कर दिए कि , समय आने पर मैं यह पोटली खोलूंगा और सब को उसके हिस्से का उत्तर मिलेगा। परन्तु तब तक मुझे जीवन में बहुत सारी चीज़ें करनी है , क्योंकि क्या पता ये जीवन कब साथ छोड़ जाए , और अभी तो कई सपने , कई उम्मीदें , कुछ लक्ष्य पूरे करने   बाकी है , और दुनिया कि चौड़ाई तो बस अभी आंकीं है। ये जो जीवन संघर्षों में काट रहे है , इसे जीना तो अभी बाकी है। तो प्रश्न कम , क्योंकि संघर्ष बहुत ज्यादा है। मेहनत का फल पका अभी तो आधा है। समय कम है , पूरा करने को जो खुद से किया वादा है। तो प्रश्न तुम चुप रहो। क्योंकि , जहां उत्तर लिखा होना है , वो पन्ना अभी सादा है।                         ...

परीज़ाद

  उर्दू का एक शब्द है - परीज़ाद , इसका मतलब होता है परियों की संतान , यानी - बहुत खूबसूरत। अक्सर मुहब्बत को परिजादों का हक़ माना जाता है , जहां सब कुछ खूबसूरत होता है। खूबसूरत हुस्न , खूबसूरत चेहरे , खूबसूरत शामें , परियों की कहानियों जैसा बे-इंतहा खूबसूरत इश्क़। पर एक आम सा दिखने वाला मैं , क्या मुझे कोई हक़ नहीं मुहब्बत का ? क्या इन परियों की कहानियों में मेरा कोई भी किरदार नहीं ? क्या मेरे लिए किसी भी दिल में सच में कोई प्यार नहीं ?  अगर मुहब्बत सच है तो ये भी सच है , कि चेहरों से आगे भी कई जज़्बात होते हैं।   गौर से देखो जरा , बस चेहरे ही नहीं , कुछ दिल भी परीज़ाद होते हैं।   

बस... बातें करो

  कई बार होता है न कि हम किसी Conversation में   Struck हो जाते हैं , और फिर हमें यह सूझता ही नहीं कि अब आगे क्या बात किया जाए। जी हां … वही जहां हमारे "और बताओ" का जबाव आता है … "मैं क्या बताऊँ , मेरे पास कुछ है ही नहीं बताने के लिए" तो उन से ये कहें कि … बोलो कुछ , अपने घर क बाहर की नजारों की बातें करो , जहां मनपसंद पकवान मिलते हैं तुम्हारे , उन बाजारों की बातें करो , जहां गए थे कुछ दिन पहले तुम घूमने , उन पहाड़ों की बातें करो , दर्द में कितना रोये हो तुम , उन ग़मों की बातें करो , ख़ुशी में जब तुम उछल गए थे , उन पलों की बातें करो , लिख-लिख के जो तुमने मिटा दिया , मुझसे उन ख़तो की बातें करो , छोड़ दिया जिन्होंने तुम्हें अपना बना कर , उन अपनों की बातें करो , मुझे सुनना है तुम्हें , तुम अपने किसी मज़ेदार सफ़र की बातें करो , मैं आँखों से भी सुन लूंगा , तुम नजरों से बातें करो , कुछ अपना बताओ , कोई किस्सा बताओ , कोई इधर उधर की बातें करो , बिना सोचे तुम बोलो , बस आज दुनिया भर की बातें करो , आवाज़ सुननी है तुम्हारी , बात सुननी है तुम्हारी , मन अगर ...

क्या चाहिए ?

कोई अगर पूछे मुझ से , कि क्या चाहिए Life में ? तो मेरे पास उसका एक जबाव है कि , मुझे न , अफसोस न करना अब किसी चीज़ का , प्यार करना था , कर लिया , इस बीच दिल टूट भी गया तो ठीक है , सपना जीना था , जी लिया , उसके बीच थोड़ा मर भी लिए तो ठीक है , दोस्त बनाने थे , बनाए , नाम कमाना था , कमाया , इस बीच खुद को थोड़ा खो भी लिया तो ठीक है , बस शिकवे नहीं चाहिए , काश नहीं चाहिए , आखिर में जब ज़िंदगी के तरफ देखूं तो सोचूं कि , यार , कमाल कि रही है ज़िंदगी मेरी।  

Keep Going

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  Life, in its essence, is a journey—a series of twists and turns, highs and lows, victories and defeats. It's a journey that demands resilience, perseverance, and an unwavering spirit to keep going, even when the path seems daunting and uncertain. In the face of adversity, it is our ability to press forward that defines our character and shapes our destiny. Every individual encounter challenge along the way. Whether it's the loss of a job, the end of a relationship, or a personal setback, adversity is an inevitable part of the human experience. However, it is not the challenges themselves that determine our fate, but rather our response to them. In the words of the legendary basketball coach Jim Valvano, "Don't give up, don't ever give up." These words encapsulate the essence of resilience—the determination to persevere in the face of adversity and to keep going, no matter what. One of the fundamental truths about life is that it is constantly evolving an...