प्रश्न
हम ने शब्दों का सहारा शायद इसलिए लिया क्योंकि परिस्थितियों पर हमारा बस नहीं चलता। प्रश्नों का एक दौर चला पर उत्तर कहीं नहीं दिखा। फिर और प्रश्न , पर कोई उत्तर नहीं। फिर एक सुबह , कोई प्रश्न नहीं किया स्वयं से , कि क्यों ? मैं क्यों ? हर बार सिर्फ मैं क्यों ? अभी क्यों ? इन सारे क्यों को मैंने एक पोटली में मैंने यह कह कर बंद कर दिए कि , समय आने पर मैं यह पोटली खोलूंगा और सब को उसके हिस्से का उत्तर मिलेगा। परन्तु तब तक मुझे जीवन में बहुत सारी चीज़ें करनी है , क्योंकि क्या पता ये जीवन कब साथ छोड़ जाए , और अभी तो कई सपने , कई उम्मीदें , कुछ लक्ष्य पूरे करने बाकी है , और दुनिया कि चौड़ाई तो बस अभी आंकीं है। ये जो जीवन संघर्षों में काट रहे है , इसे जीना तो अभी बाकी है। तो प्रश्न कम , क्योंकि संघर्ष बहुत ज्यादा है। मेहनत का फल पका अभी तो आधा है। समय कम है , पूरा करने को जो खुद से किया वादा है। तो प्रश्न तुम चुप रहो। क्योंकि , जहां उत्तर लिखा होना है , वो पन्ना अभी सादा है। ...