शक्ति
तुम शक्ति हो,
सृष्टि के सृजन से संहार तक हो,
तुम शैलपुत्री से कालरात्रि तक हो,
तुम केवल शक्ति नहीं,
सृजन, पालन और संहार की धुरी
हो।
तुम श्रीराम की शक्ति हो,
और शिव की पूर्णता हो,
तुम जगत जननी हो,
संसार का अस्तित्व तुमसे,
हर स्त्री में तुम,
हर करुणा में तुम,
हर खामोशी की आवाज़ तुम,
हर दर्द में मुस्कान तुम।
जीवन का सार तुम,
संघर्ष का साथ तुम,
आशा की किरण तुम,
जीवन का मूल तुम,
संसार का अस्तित्व तुम।
तुम प्रेम हो,
तुम बल हो,
तुम धैर्य हो,
तुम साहस हो,
हर आस्था में तुम,
हर विश्वास में तुम,
तुम अनंत, अजेय,
तुम सर्व शक्ति, तुम सर्वव्यापी,
तुम ही आरंभ, तुम ही अंत हो।
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