महाशिवरात्रि

महाशिवरात्रि केवल एक पर्व नहीं , यह एक अनुभूति है , यह एक आह्वान है , यह वह रात है जब पूरा ब्रह्मांड शिवमय हो जाता है , जब हर धड़कन " हर हर महादेव " के साथ गूंज उठती है। यह वह रात है जब महादेव के ध्यान में डूब जाने से ही मोक्ष की अनुभूति होने लगती है। महादेव , अनादि हैं , अव्यक्त हैं , अविनाशी हैं। वे वह शक्ति हैं जो संसार की रचना करती है , उसे संभालती है और अंत में उसे अपने भीतर समा लेती है। वे ध्यान में लीन रहते हैं , फिर भी हर प्राणी की हर सांस में बसे हुए हैं। वे वैराग्य के प्रतीक हैं , फिर भी प्रेम की पराकाष्ठा भी वही हैं। वे शांत भी हैं और संहारक भी। वे श्मशान के स्वामी भी हैं और ब्रह्मांड के अधिपति भी। शिव ही वह सत्य हैं जिसे समझने के बाद कुछ और जानने की आवश्यकता नहीं रह जाती। महादेव की उपासना केवल पूजा-अर्चना नहीं , यह जीवन को जानने का मार्ग है। उनके हर रूप , हर प्रतीक में एक गहरी सीख छिपी है : · त्रिनेत्र – महादेव की तीसरी आँख केवल क्रोध का प्रतीक नहीं , यह जागरूकता का प्रतीक है। यह हमें सिखाती है कि संसार को केवल आँखों स...