ख़्वाब
कुछ ख़्वाब अभी पूरे हुए,
कुछ और अधूरे हैं बाकी ।
जीने लगा हूँ जिंदगी को मैं,
पर जीत जिंदगी में है अभी बाकी ।
कुछ ख्वाहिशें अभी हैं मन में,
कुछ ख्वाहिशों को जगाना है बाकी ।
सफर तय किए हैं कई इस मुसाफिर ने,
पर अभी भी कई मुकाम जिंदगी के हैं बाकी ।
इम्तिहान भले ही अधूरे हुए हैं जिंदगी के,
पर मुझ में हौसले अभी भी हैं बाकी ।
कुछ ख़्वाब अभी पूरे हुए,
कुछ और अधूरे हैं बाकी ।
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